"रश्मि सिंघल" के सीधे चश्में में हो गया एक दिन बड़ा कमाल! "रश्मि सिंघल" के सीधे चश्में में हो गया एक दिन बड़ा कमाल!
बहुत हो चुका बहुत रो चुका बस अब और नहीं। बहुत हो चुका बहुत रो चुका बस अब और नहीं।
ज़िंदगी की शाम तले उम्र का सूरज ढ़ले, तमस घिरी रात की भोर अभी बाकी है। ज़िंदगी की शाम तले उम्र का सूरज ढ़ले, तमस घिरी रात की भोर अभी बाकी है।
क्या पता, कब, कहां मिल जाए सोलमेट। क्या पता, कब, कहां मिल जाए सोलमेट।
हाँ ये सच है मेरी कविता मेरी खुद की परछाई है। हाँ ये सच है मेरी कविता मेरी खुद की परछाई है।
एक ही पीपल के पत्ते में कोई हृदय की आकृति देखता है कोई रौंद कर आगे बढ़ा जाता है कोई उस प... एक ही पीपल के पत्ते में कोई हृदय की आकृति देखता है कोई रौंद कर आगे बढ़ा ...